Mon Apr 07 23:08:12 IST 2025
नागपुर : श्री पोधारेश्वर राम मंदिर द्वारा प्रतिवर्भानुसार आयोजित श्री राम जन्मोत्सव शोभायात्रा का आयोजन इरा वर्ष भी दिनांक 6 अप्रैल को किया गया है। इस शोभायात्रा में श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन द्वारा भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप का दर्शन की भव्य एवं आकर्षक झांकी प्रस्तुत की जा रही है।
विश्व में आयुर्वेदिक औषधियों के सबसे बजे निर्माता श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन की स्थापना 1917 में वैद्यानाथ धाम देकर (बिहार) में वैद्यराज पं. रामनारायण जी शर्मा के द्वारा की गयी थी। पिछले 107 वर्षों से श्री वैद्यनाथ आयुर्वेद भक्य आयुर्वेद औषधियों के निर्माण में तो अग्रणी है ही, साथ ही नागपुर वासियों को बैद्यनाथ प्रतिখ্যान की सहभागिता सामाजिक गतिविधियों, खेलकुद, सांस्कृतिक एवं धार्मिक सभी क्षेत्रों में समय-समय पर निरंतर देखने को मिलती है। श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन द्वारा विगत वर्षों में प्रमुख झांकीयों 'श्रीराम की शक्ति प्रदर्शन'', 'श्री तिरूपती बालाजी दर्शन', 'विठ्ठल रूखमणी दर्शन', 'श्री राम अवतार तथा श्री लक्ष्मी नारायण दर्शन', 'श्री नृसिंहावतार'', 'भगवान शिव का विष पान', 'सृष्टि हित में भगवान विष्णु का मत्सावतार', 'महर्षि परशुराम की शिव आराधना', 'परम सेवक श्री सीता राम हनुमान', 'प्रभु श्रीरामचंद्र की शिव-आराधना', 'केवत की नाव पर प्रभु श्रीराम सीता और लक्ष्मण', 'शिव पार्वती विवाह', 'रामेश्वरम् पूजन आदि आज भी सर्वसाधारण में चर्चित है। शहर में आयोजित श्रीरामजन्मोत्सव शोभायात्रा के आरंभ से ही बैद्यनाथ प्रतिष्यान ने शोभायात्रा में प्रतिवर्ष अनुपम झांकीयर्थी प्रस्तुत की है और यही कारण है कि, लाखों दर्शनार्थी बैद्यनाथ की झांकी की आतुरता से प्रतीक्षा करते हैं एवं इस झांकी के दर्शन पश्चात ही घर को प्रस्थान करते है। इस वर्ष भी अपनी गौरवशाली परंपरा का निर्वहन भगवान श्री कृष्ण द्वारा विराट स्वरूप का दर्शन' की झांकी से किया जा रहा है। बैद्यनाथ प्रतिष्ठान द्वारा इस वर्ष भी श्रीराम जन्मोत्सव शोभयात्रा के लिये झांकी का निर्माण नागपुर शहर के सुप्रसिद्ध मुर्तिकार श्री दिपक शरद इंगळे द्वारा किया जा रहा है। जिसकी विद्युत सज्जा गोलू इलेक्टीकल्स द्वारा की जायेगी। विगत वर्षों की भांती इस वर्ष भी यह मनमोहक कलाकृति संपूर्ण शोभयात्रा का प्रमुख आकर्षण केन्द्र होगा। झांकी का संचालन प्रतिष्ठान के श्री प्रमोद लुटे एवं प्रतिष्ठान के अन्य सभी सेवाभावी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जायेगा। पत्रपरिषद में बैद्यनाथ के प्रधान वैद्य श्री रमेश शर्मा, प्रमोद लुटे, श्याम खडतकर, राजेन्द्र शर्मा आदि उपस्थित थे।
विश्वरूप अथवा विराट रूप दर्शन विश्वरूप अथवा विराट रूप भगवान विष्णु तथा कृष्ण का सार्वभौमिक स्वरूप है। इस रूप की प्रथ कथा भगवद्गीता के अध्याय 11 में है, जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध के समय विश्वरूप दर्शन कराते है। यह युद्ध कौरव तथा पाण्डवों के बीच न्याय-अन्याय तथा सत्य-असत्य को लेकर हुआ था। यह युद्ध पांडवो की कौरव पर न्याय व सत्य की जित है। विश्वरूप अर्थात् विश्व (संसार) और रूप। अपने विश्वरूप में भगवान संपूर्ण ब्रह्मांड का दर्शन एक पल में करा देन हैं। जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने समस्त मानव जीवन के जन्म से मृत्यू तक का संपूर्ण सार दर्शाया है। भगवान के इस स्वरूप का यह उद्देश है कि मानव स्व साक्षात्कार करे। उसे यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि इस अगाध ब्रह्मांड के समक्ष उसका क्या स्थान है। विश्व के आडब्बरों एवं अपने अहंकार को छोड़कर वह स्वयं को प्रन् में देखे।